| خيزيـــد و خـــز آريــد کـه هنگام خزان اسـت
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| بــاد خُنــک از جانـــبِ خـــوارزم وزان اســت
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| آن برگِ رزانبين که بر آن شـاخِ رزان اسـت
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| گـويـــى بـــه مَثــَل پيرهــن رنگــرزان اســت
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| دهقان به تعجب سرِ انگشت گـــزاناســت
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| کاندر چمن و باغ، نه گل مانـد و نـه گلنــار
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| شبگيــر نبينـى که خجستـه بـه چـه درد اسـت
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| کـــرده دو رخــان زرد و برو پرچيـن کردســت
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| دل غاليهفام است و رخش چون گل زرد است |
| گويــى که شـبِ دوش مـى و غاليـه خوردسـت |
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| بويش همه بوى سمن و مشـک ببــُردســت
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| رنگــش همـه رنــگِ دو رخِ عاشــقِ بيمـــار
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| بنگـر بـه ترنـج اى عجبـىدار کـه چـون اسـت
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| پستانى سخت است و دارزاست و نگون است
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| زرداسـت و سپيداسـت و سپيديش فـزوناست
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| زرديــش بـروناسـت و سپيـديش دروناســت
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| چون سيم دروناست و چو دينار بروناست
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| آکنــده بــدان سيــم درون لــؤلــؤ شهـــوار
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| نــارنــــج چــــو دو کفــــهٔ سيميـــنِ تــرازو
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| هر دو ز زر سرخ طلــى کــرده بــرون اســت
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| آکنــده بــه کافــور و گــلابِ خوش و لــؤلــؤ
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| وانــگــــاه يکــــى زرگــــرگِ زيــــرکِ جــادو
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| بــا زر بــهـــم بــازنهـــاده لــبِ هــــر دو
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| رويش به سـر ســوزن بــر آژده همـــــوار
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| وان نــار بــه کــردار يــک حــُقــهٔ ســــاده
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| بيجــاده همــه رنــگ بــدان حُقــه بــــداده
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| لَختــى گُهــرِ ســرخ در آن حُقـــه نهـــــاده
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| لـختــى سلـــب زرد بـــر آن روى فتــــــاده
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| بــر ســرش يکــى غاليـــه دانى بگشــــاده
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| واکنـده در آن غاليــهدان سونــش دينــــار
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| دهقــان بــه سحرگاهــان کز خانـه بيايــد
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| نــه هيـــچ بيارامــد و نــه هيــچ بپايـــــد
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| نــزديـــک رز آيــــد، درِ رز را بــگشــــايــد
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| تــا دختــر رز را چه به کارست و چه شايد
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| يــک دختــر دوشيــزه بــدو رخ ننمايـــــد
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| الاّ هـمـــه آبــستــن و الاّ همــه بيمـــــار
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| گويد که شما دخترکان را چه رسيدهســت
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| رخســار شمــا پادگيــان را کــه بديدست
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| وز خانــه شمـا پردگيان را که کشيدهست
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| ويــن پردهٔ ايزد به شما بر کـه دريدهسـت
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| تا من بشدم خانه، در اينجا که رسيدهست
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| گرديــد بــه کــردار و بکوشيــد بــه گفتــار
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| تا مادرتان گفـت کــه مــن بچــه بــزادم
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| از بهــر شما من بــه نگهداشــت فتــادم
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| قفلــى بــه درِ بــاغ شمــا بــر بنهـــادم
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| درهــاى شمــا هفتــه بـه هفته نگشادم
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| کس را به مَثـَل سـوى شمــا بــار نــدادم
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| گفتــم کــه بــرآييــد نکــونــام و نکوکـــار
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| امــروزهمــى بينمتــان «بــار گرفتـــه»
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| وز بــار گــران جــرم تن او بار گرفتـــه
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| رخسـارکتــان گونــهٔ دينـــار گرفتــــــه
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| زهــدانکتــان بچــهٔ بسيـــار گرفتــــــه
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| پستانکتــان شيــر بـــه خـــروار گرفتـــه
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آورده شکم بيش و ز گونه شــده رخســار
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| مــن نيــز مکافــات شما باز نمايــــم
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اندام شما يک به يک از هم بگشايـــم
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| از باغ به زنــدان بــرم و ديــر بيايــم
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| چون آمدمــى نــزد شمــا ديــر نپايــم
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| انـــدام شمــا زيــر لگــد خــُرد بسايــــم
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| زيرا که شما را بهجز اين نيست سـزاوار
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کــى رفتهاى ز دل که تمنا کنــم تـــرا
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کى بودهاى نهفته که پيدا کنم تـرا
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غيبت نکردهاى که شوم طالبِ حضــور
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پنهان نگشتهاى که هويدا کنم تـرا
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با صد هزار جلوه برون آمدى، که من
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با صد هزار ديده تماشـا کنــم تـرا
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بالاى خود در آينـهٔ چشـمِ مــن ببيــن
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تــا باخبــر ز عالــَمِ بالا کنــم تـرا
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مستانه کاش در حـرم و ديــر بگـذرى
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تا قبله گاهِ مؤمن و ترسا کنم تــرا
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خواهم شبى نقاب ز رويــت برافکنــم
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خورشيدِ کعبه، ماهِ کلسيا کنم تــرا
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رسواى عالمى شدم از شـورِ عاشقــى
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ترسم خداى نخواسته رسوا کنم ترا
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