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آدميّت رحم بر بيچارگان آوردن است٭
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کآدمى را تن بلرزد چون ببيند ريش را
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(سعدى)
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آدميّت نه به پول و نه به ريش و نه به جان
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هندوم ٭ پول و بُزم٭٭ ريش و سگم٭٭٭ جان دارد
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رک: نه همين لباس زيباست نشان آدميت
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٭ هندوم: هندوهم
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٭٭ بُزم: بُز هم
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٭٭٭ سگم: سگ هم
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آدمى جائزالخطاست
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رک: انسان جائزالخطاست
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آدمى در تنگدستى مىشود بىاعتبار ٭
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رک: |
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دست تنگى بدتر از دلتنگى است
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- به وقت تنگدستى آشنا بيگانه مىگردد
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- دستِ خالى براى تو سرى زدن خوب است
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- ذلّت مرد در نادارى است
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- واى بر آنکه درم ندارد و دينار (لامعى)
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- تهيدست را کار واژون بوَد |
دلش سال و مَهْ تنگ و محزون بوَد |
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(فردوسى) |
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- بىپول اگر رستم زال است ذليل است
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- هر که را اندک شود مال، خوار گردد نزد اهل و عيال
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راستى بر جا نمانَد تير چون پَر شود (...؟)
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آدمى در عالم خاکى نمىآيد بهدست ٭
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نظير: |
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دى شيخ با چراغ همى گشت گرد شهر |
کز ديو و دد ملولم و انسانم آرزوست |
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- گفتم که يافت مىشود جُستهايم ما |
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گفت آنکه يافت مىنشود آنم آرزوست
(مولوى)
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