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ترازو دو سر دارد
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نظير: تا نيايد هر دو خصم اندر حضور
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حق نيايد پيش قاضى در ظهور (مولوى)
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ترازوى تُرکى شده از آن سر هم پارسنگ برمىدارد!
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ترازوى قيامت را سنگ کم نيست
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نظير:
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ناکرده گناه در جهان کيست بگو (خيام)
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- دست بر دامن هر کس که زدم رسوا بود
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- سمّ همه گرد است
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تُرب ندارد بخورد آروغِ قيمه مىزند! (عامیانه).
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رک: شکم خالى و باد فندقي!
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تُرب هم جزء مرکّبات شده است
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رک: پياز هم خودش را داخل ميوهها کرده است
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تربيت نااهل را چون گردکان بر گنبد است٭
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نظير:
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خر به سعى آدمى نخواهد شد (سعدى)
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- بوم از تربيت هزاردستان نشود
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- خر را به زدن اسب نتوان کرد
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- ناکس به تربيت نشود اى حکيم کس (سعدى)
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- در شوره زمين سمن نرويد
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- در شوره نهال چون نشانى؟ (ناصرخسرو)
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- زمين شوره سنبل برنيارد (سعدى)
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- تخم چون در شورهکارى ضايع و بىبَر شود (عنصرى)
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- زنگى به شستن نگردد سفيد (فردوسى)
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- به کوشش نرويد گل از شاخ بيد
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نه زنگى به حمام گردد سفيد (سعدى)
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- نمد سياه از صابون سفيد نشود
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- جوالِ سياه با شستن سفيد نمىوشد
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- پلاسِ تيره نگردد به سعى آب سفيد (محمدباقر کاشى)
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- حنظل از سعى انگبين نشود (سنائى)
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- نرود ميخ آهنين بر سنگ (سعدى)
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- ابر اگر آب زندگى بارَد
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هرگز از شاخ بيد بر نخورى (سعدى)
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- ابر اگر آب حيات هم ببارد درخت عرعر ميوه نمىدهد
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- به کوشش نرويد ز خاراگيا (فردوسى)
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- نتوان ديو را به راه آورد
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سرِ ديوانه در کلاه آورد (اوحدى)
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- درخت مُقُل نه خرما دهد نه شفتالو (سعدى)
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- آب شيرين نيايد از گِلِ شور
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- از حنظل شکر نتوان ساخت
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- رفتم به بام کعبه و ديدم نوشته بود
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بعد از هزار سال يهودى شود يهود (سعدى) |
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- اندر شورستان تخم مکار که بَر ندهد و رنج بيهوده بوَد (قابوسنامه)
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٭ پرتو نيکان نگيرد هر که بنيادش بد است
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............................... (سعدى)
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ترتيزک کاشتم قاتق نانم بشود، قاتل جانم شد
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صورت ديگرى است از 'باقلا کاشتم قاتق نانم بشود، قاتل جانم شد'
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ترحُم بر پلنگ تيزدندان
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ستمکارى بوَد بر گوسفندان (سعدى)
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رک: رحم آوردن بر بدان ستم است بر نيکان (سعدى)
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ترسِ از بلا بدتر از بلاست
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نظير:
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از بلا بدتر بوَد بيم بلا
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- هر که از مردن غصه خورد، هم غصه خورد هم مرد
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- زنبور به مار گفت تو بزن من خود را مىنمايم، من مىزنم تو خود را نشان بده.
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رک: در بلا بودن بِهْ از بيم بلا
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ترس باشد برادر مردن (اخگر)
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رک: ترس برادر مرگ است
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ترس برادر مرگ است
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نظير:
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ز ترسنده مردم برآيد هلاک (سعدى)
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- ترس باشد برادر مردن
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ترسم آزرده شوى ورنه سخن بسيار است٭
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نظير:
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چه گويم که ناگفتنش بهتر است
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- آن به که نپرسى تو و ما نيز نگوئيم
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کافسانهٔ ما باعث صد گونه ملال است
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٭ اقتباس از مصراع دوم اين بيت سعدى:
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اندکى با تو بگفتم غم دل ترسيدم
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که دل آزرده شوى ور نه سخن بسيار است
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ترسنده همواره تندرست باشد
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رک: آدم ترسو هميشه سالم است
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ترسو هرگز به مراد دل نرسد
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رک: نبايد ز ترسندگان هيچ کار
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تُرُش بوَد پسِ هفتاد ناز و الغنجار! (مختارى غزنوى)
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رک: سرِ پيرى معرکهگيرى
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ترش نخورده زکام شدهايم (عامیانه).
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رک: آش نخورده و دهان سوخته
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ترک جان اندر ره جانان نخستين منزل است (نادرى کازرونى)
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ترک دنيا به مردم آموزند
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خويشتن سيم و غلّه اندوزند (سعدى)
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رک: رطب خورده منع رطب چون کند
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ترک شهوت آزادى نفس است (از تاريخ گزيده)
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ترک عادت موجب مرض است
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نظير:
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گاوى که به کهنه خوردن عادت کرد چاره ندارد
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- ريسمان سوخت کجيش بيرون نرفت
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- توبهٔ گرگ مرگ است
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- مار پوست مىاندازد خوى نمىاندازد
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- عادت برود علت نرود
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- خوى بد در طبيعتى که نشست
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نرود تا به وقت مرگ از دست (سعدى)
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- ماما آورده را مردهشوى بَرَد
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- با شير اندرون شد و با جان بدر رود
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- کلاغى که به اَن خوردن عادت کرد عبث عبث ترکش نمىشود
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- گرگ را گرفتند پندش دهند گفت سرم دهيد گَلْه رفت!
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- عادت طبيعت ثانوى است
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- خوى بد همراه است تا مرگ
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- با جان مگر از جسد برآيد
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خوبى که فرو شده است يا شير (سعدى)
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ترک واجب کرده سُنّت بهجا مىآورد
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يعنى اصل را رها کرده و به فرع پرداخته است
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ترک واجب نتوان کرد پى نافلهها
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ترک وطن کسى به ارادت نمىکند
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نظير: مىروم وز سرِ حسرت به قفا مىنگرم
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تُرک و حديث دوستى قصهٔ آب و آتش است!
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نظير:
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اترک التروک و لوکان ابوک٭
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- وفا نايد از تُرک هرگز پديد (اسدى)
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٭ عبارتى است ساختهٔ عوام به زبان ترکى که به طنز و شوخى بهکار برند. معنى آن به زبان فارسى چنين است: تُرکها را ترک کن ولو پدرت باشد.
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ترکهٔ معلّم از درخت بهشت است٭
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رک: چوب معلم از بهشت آمده است
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٭ يا: چوب معلم از بهشت آمده است.
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تُرکى را از ده بيرون مىکردند براى اسبش آخور مىبست
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رک: يکى را به دِه راه نمىدادند سُراغ خانه کدخدا را مىگرفت
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تُرکى را به ده راه نمىدادند مىگفت تير و ترکش مرا به خانهٔ رئيس بريد!
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رک: يکى را به ده راه نمىدادند سراغ خانهٔ کدخدا را مىگرفت
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تر و خشک با هم مىسوزند
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رک: آتش چو برافروخت بسوزد تر و خشک
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تره به تخمش مىرود حسنى به باباش! (عامیانه).
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نظير:
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سو به سومى رود چغندر پى کونه
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- رگ به ريشه مىکشد
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شير را بچه همى ماند بدو
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- شير تقاضاى خودش را دارد
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- الولدالچموش يشبه به عموش! (عامیانه).
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- کند فعلِ شير بچهٔ شير
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رک: بيله ديگ، بيله چغندر
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تره خريدم قاتق نانم بشود قاتل جانم شد
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نظير:
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زر دادم و دردسر خريدم
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- بچه سرراهى را برداشتم پسرم بشود آقابالاسرم شد
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ترياک کشيد کمرش سفت بشود غيرتش شُل شد
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ترياک مفت را قاضى خورد تا مرد!
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رک: مفت باشد گلوله جفت جفت باشد
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